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प्रत्येक जनपद
में जिला विधिक सेंवा
प्राधिकरण के अध्यक्ष/ जनपद न्यायाधीश के निर्देशन एवं मार्ग-दर्शन
तथा सचिव की देख-रेख व
नियंत्रण में
परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र कार्य करेंगे।
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परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्रों का संचालन यथा सम्भव ऐसे
स्थान पर किया जायेगा जो परिवारिक न्यायालय अथवा पारिवारिक विवादों
को निस्तारित करने वाली नियमित न्यायालयों के पास हो, जिससे
वादकारियों को केन्द्र में आने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई न
हो।
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परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र के कक्ष का वातावरण ऐसा होना
चाहिए ताकि वादकारी वहॉ पर आकर निर्भय होकर सहज भाव से व्यक्तिगत
रूप से आपनी बात संधिकर्ताओं के समक्ष रख सकें।
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परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र हेतु आवश्यक संधिकर्ताओं का
चयन विभिन्न प्रतिष्ठित समाजसेवी व्यक्तियों, सेवानिवृत्त
न्यायाधीशों, अधिकारियों, अध्यापको, मनोवैज्ञानिकों आदि से कर सकते
हैं परन्तु सेवानिवृत्त न्यायाधीशों
को प्राथमिकता दी जायेगी।
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परामार्श एवं सुलह समझौत केन्द्र में बैठके प्रत्येक कार्य
दिवस पर होगी और संधिकर्ताओं से यह अपेक्षा की जायेगी कि वे यथा
सम्भव प्रत्येक बैठक में भाग लें। कार्य कम होने की दशा में बैठकों
की संख्या अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्रधिकरण के निर्देशानुसार कम
किया जा सकता है। संधिकर्ताओं की उपस्थिति एक पंजिका में दर्ज की
जायेगी जिसका अवलोकन प्रत्येक कार्य दिवस पर सचिव द्वारा किया
जायेगा।
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नियुक्त किय गये संधिकर्ताओं का योगदान अधिकतम दो वर्षों के
लिये होगा और इस बीच यदि वह चाहें तो स्वेच्छा से अपने कार्य से
विरत हो सकते हैं। यदि अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अथवा
कार्यपालक अध्यक्ष राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण इस बात से सतुष्ट हो
जायें कि संधिकर्ता दल के किसी संधिकर्ता की सेवाओं की कोई आवश्यकता
नहीं रह गयी है अथवा जनहित में उसी सेवाएं परामर्श एवं सुलह समझौता
केन्द्र के लिये आवश्यक नहीं रह गयी है तो बिना कोई कारण बताये उस
संधिकर्ता को परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र से असम्बद्ध कर दिया
जायेगा।
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परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र के संधिकर्ता का कार्यकाल
समाप्त होने के पश्चात पुन: योगदान/सेवायें देने के लिये
पात्र रहेंगें उनकी पुन: नियुक्ति की जा सकती है।
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परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र के संधिकर्ताओं के कार्यों का
त्रैमासिक मूल्यांकन सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष
प्रस्तुत किया जायेगा तथा अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्रधिकरण के
समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा जिस पर अध्यक्ष जिला विधिक सेवा
प्राधिकरण द्वारा आवश्यक निर्देश समय- समय पर पारित किये जायेंगे
और उस पर की गयी कार्यवाही से राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को
समय-समय पर अवगत कराया जायेगा।
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परामर्श एवं सलह समझौता केन्द्र में कार्य करने वाले
संधिकर्ताओं को राज्य विधिक सेवा प्रधिकरण द्वारा समय-समय पर निर्धारित
मानदेय राष्ट्रीय विधि सेवा प्रधिकरण
द्वारा प्रदत्त अनुदान राशि से
भुगतान किया जायेगा।
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केन्द्र में संधिकर्ताओं के सदस्यों की संख्या यथासम्भव चार तक
सीमित रखी जायेगी, परन्तु कार्य की अधिकता को देखते हुए इसके
अतिरिक्त भी संधिकर्ता नियुक्त किये जा सकते हैं।
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परामर्श एवं सलह समझौता केन्द्र की सम्पूर्ण व्यवस्थायें जिला
विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव की देख रेख एवं नियंत्रण में जिला
विधिक सेवा प्राधिकरण के स्टाफ (लिपिक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी)
द्वारा की जायेगी।
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अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिककरण यह सुनिश्चित करेंगे कि
संबंधित न्यायालयों द्वारा पर्याप्त संख्या में पत्रावलियां
प्रतिदिन केन्द्र को संदर्भित की जाय और सचिव, जिला विधिक सेवा
प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेंगे कि संदर्भित पत्रावलियों को प्राप्त
करने, संधिकर्ताओं में बराबर-बराबर आवंटित कर दी जाये। इन
पत्रावलियों को प्राप्त करने, संधिकर्ताओं के समक्ष प्रस्तुत करने
व न्यायालय को वापस भेजने तथा पत्रावली की सुरक्षा के लिए लिपिक
जिला विधिक सेवा प्रधिकरण जिम्मेदार होगा।
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संदर्भित की गयी पत्रावलियों में की गयी वार्ता/ कार्यवाही
न्यायालय में प्रयुक्त होने वाले आदेश पत्र से अलग रंग (पीला)
के कागज पर संधिकर्ता द्वारा अंकित किया जायेगा तथा उस दिन की
कार्यवाही के बाद पत्रवलियां न्यायालय को वापस भेज दी जायेगी।
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संधिकर्ताओं के समक्ष संधि होने जाने की दशा में संधि/ समझौता
की भर्ती को एक सुलहनामें के रूप में तैयार किया जायेगा जिस पर
पक्षगण एवं संधिकर्ता अपने हस्ताक्षर करंगे तथा पत्रावली के साथ
आवश्यक कार्यवाही हेतु उसी दिन संबंधित न्यायालय को भेज दिया
जायेगा।
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संधिकर्ताओं से यह भी अपेक्षित है कि वे पक्षकारों को
धैर्यपूर्वक सूने और उन्हे अपनी बात कहने का पूर्ण अवसर प्रदान करे
तथा समझौता करने का यथासम्भव प्रयास करें तथा वार्ता हेतु लम्बी
तारीखें न नियत करें।
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सामान्यतया पत्रावलियों को न्यायालय द्वारा परामर्श एवं सुलह
समझौता केन्द्र को संदर्भित करने की जानकारी संबंधित पक्षगण को
रहती है, परन्तु आवश्कता पड़ने पर संधिकर्ता किसी पक्ष अथवा अन्य
संबंधित व्यक्ति को केन्द्र में उपस्थित होने के लिये नोटिस भेजने
हेतु न्यायालय से आग्रह कर सकते हैं।
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परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र में संधिकर्ताओं की नियुक्ति
होने पर तथा वर्तमान में कार्यरत संधिकर्ताओं को विधिक साक्षरता के
साथ-साथ अधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जा रही विधिक सेवाओं
की विस्तृत जानकारी सचिव जिला विधिक सेवा प्रधिकरण द्वारा प्रदान
की जायेगी। विधिक साक्षराता के अन्तर्गत विभिन्न विधियों, जिनकी
आवश्यकता परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र में पड़ती है के बारे
में भी संधिकर्ताओं को सचिव द्वारा जानकारी प्रदान की जायेगी।
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सचिव, जिला विधिक सेवा प्रधिकरण परामर्श एवं सुलह समझौता
केन्द्र के सफलतापूर्वक संचालन हेतु जिम्मेदार होंगे और सचिव से यह
अपेक्षित है कि वे समय-समय पर केन्द्र में जाकर वहॉ की व्यवस्था और
केन्द्र के सुचारू रूप से संचालन हेतु आवश्यक निर्देश समय-समय पर
मार्ग-दर्शन भी करते रहें।
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अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से यह अपेक्षित है कि वे
समय-समय पर केन्द्र का आकस्मिक निरीक्षण कर केन्द्र के सुचारू रूप
से सचालन हेतु आवश्यक निर्देश जारी करते रहें।
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प्रत्येक माह परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र के आंकडे
निर्धारित प्रारूप पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को अगले माह की
पॉच तारीख तक सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भेजना सुनिश्चित
करेंगे।