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Aims & Objectives
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विधिक सेवाएँ क्या हैं?
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- समस्त न्यायालयों/प्राधिकरणों/अधिकरणों/आयोगों के समक्ष
विचाराधीन मामलों में विधिक सेवायें उपलब्ध करायी जाती हैं।
- गरीब तथा आम व्यक्तियों के लिए न्यायशुल्क सहित वकील की
फीस एवं अन्य सभी आवश्यक वाद व्यय प्रधिकरण द्वारा वहन किये
जाते हैं।
- विधिक अधिकारों एवं सेवाओं की जागरूकता के लिसए विधिक
साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जाता है।
- परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्रों में सन्धिकर्ता दल
द्वारा पारिवारिक विवादों को सुलह समझौते के आधार पर समाप्त
कराये जाने के सतत प्रयास किये जाते हैं।
- मोटर दुर्घटना प्रतिकर वादों में पीड़ित व्यक्तियों को
शीघ्र मुआवजा दिलाये जाने हेतु निरन्तर प्रयास किये जाते हैं।
- अन्य सभी प्रकार के विदों में सुलह समझौते द्वारा शीघ्र
न्याय दिलाया जाता है।
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नि:शुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र
कौन है? |
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य।
- अनैतिक अत्याचार के शिकार लोग या ऐसे लोग जिनसे बेगार
करायी जाती है।
- महिलाएँ एवं बच्चे,
- मानसिक रोगी एवं विकलांग,
- अनपेक्षित अभाव जैसे बहुविनाश, जातीय हिंसा, बाढ़, सूखा,
भूकम्प या औद्योगिक विनाश की दशाओं के अधीन सताये हुए व्यक्ति
या, शहीद सैनिकों के आश्रित,
- औद्योगिक श्रमिक,
- कारागृह, किशोर, मनोचिकित्सी अस्पताल या मनोचिकित्सीय
परिचर्या गृह में अभिरक्षा में रखे गये व्यक्ति जिनकी वार्षिक
आय पच्चीस हजार रूपये से कम है।
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लोक अदालते क्या हैं? |
- लोक अदालत विवादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिए
एक वैकल्पिक मंच है।
- सभी प्रकार के सिविल वाद तथा ऐसे अपराधों को छोड़कर जिनमें
समझौता वर्जित है, सभी आपराधिक मामले भी लोक अदालतों द्वारा
निपटाये जा सकते हैं।
- लोक अदालत के फैसलों के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में अपील
नहीं की जा सकती है।
- लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निस्तारित मामले में
अदा की गयी कोर्ट फीस लौटा दी जाती है।
- प्रदेश के सभी जिलों में स्थायी लोक अदालतों के माध्यम से
सुलझाने के लिए उस अदालत में प्रार्थनापत्र देने का अधिकार
प्राप्त है।
- अभी जो विवाद न्यायालय के समक्ष नहीं आये हैं उन्हें भी
प्री-लिटीगेशन स्तर पर बिना मुकदमा दायर किये ही पक्षकरों की
सहमति से प्रार्थनापत्र देकर लोक अदालत में फैसला कराया जा
सकता है।
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